इस्लामिक स्कॉलर अब्दुल हमीद मदनी ने कहा- मैंने पिता को खोया है, डॉक्टरों पर लोग थूकते हैंं, तो तरस आता है

 इस्लामिक स्कॉलर अब्दुल हमीद मदनी का कहना है कि मैंने अपने पिता को इस बीमारी से खोया है, इसलिए लोगों को डॉक्टरों पर थूकते, अपशब्द कहते सुनता हूं तो तरस आता है उन लोगों की बुद्धि पर। तकरीबन साढ़े 1400 साल पहले अल्लाह के, नबी के दौर में मदीना में रहनेवाले कुछ लोगों को एक ऐसी बीमारी हुई, जो छूने से फैल रही थी। तब उन सब लोगों को मोहम्मद रसउल्लाह ने अलग गांव में ऊंटों के बाड़े में रहने का हुक्म दिया था।


हदीस की किताब सही बुखारी में भी कहा गया है कि किसी जगह बीमारी फैली है तो वहां मत जाओ और यदि आप भी वहां फंसे हैं तो वहां से निकलकर औरों को परेशान मत करो। ऐसे में हमें अलग रहने का, क्वारेंटाइन होने का हुक्म है। इतने साल पहले ही धर्म ने हमें ऐसे क़हर के दौरान समझदारी से काम लेने को कहा था। टाटपट्‌टी बाखल में डॉक्टरों के साथ जो बदसलूकी हुई, वह तो गलत है ही, लेकिन पुराने वीडियो प्रचारित करना भी गलत है।  (अब्दुल हमीद मदनी नेे मदीना,  सऊदी अरब से पढ़ाई की है और यहां स्कूल संचालित करते हैं)